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जीबीटीयू में ‘मर्सी पेपर’ कराने की मांग पर हंगामा
Lucknow | अंतिम अपडेट 30 जुलाई 2013 5:33 AM IST पर
लखनऊ। गौतमबुद्घ प्राविधिक विश्वविद्यालय (जीबीटीयू) में सोमवार को प्रदेश भर के इंजीनियरिंग कॉलेजों के छात्र जुटे। उन्होंने ‘मर्सी पेपर’ कराने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना था कि मर्सी पेपर अभी कराया जाए। स्पेशल कैरी ओवर तो साल में एक बार होता है और उसका इंतजार करने में भविष्य दांव पर लग जाएगा। पहले मर्सी पेपर कराया जाता था, लेकिन अब इसे बंद कर दिया गया है। सैकड़ों की संख्या में जुटे छात्रों के विरोध-प्रदर्शन को देखते हुए जीबीटीयू प्रशासन ने विश्वविद्यालय का मुख्य द्वार बंद करा दिया। इससे छात्र और भड़क गए व नारेबाजी करने लगे। ये सभी छात्र बीटेक अंतिम वर्ष की परीक्षा दे चुके हैं और एक या दो पेपर में बैक होने के कारण इन्हें डिग्री व मार्कशीट नहीं मिल रही। कई तो ऐसे हैं, जिनके छह या सात साल पूरे हो गए हैं, लेकिन वह बैक पेपर नहीं पास कर पाए। छात्र करीब डेढ़ घंटे तक हंगामा करते रहे। उधर, जीबीटीयू प्रशासन ने एक हफ्ते में मामले पर निर्णय लेने की बात कही है।
नारेबाजी कर रहे छात्र आगरा, लखनऊ, नोएडा, मेरठ, मुजफ्फरनगर, शामली, मुरादाबाद, मथुरा व कानपुर सहित विभिन्न जिलों के इंजीनियरिंग कॉलेजों से आए थे। चंदन कुमार ने लखनऊ के बीएनसीईटी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया है। उनकी एक पेपर में बैक है। वह यह बताते हुए रो पड़े कि इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेकभनोलॉजी (आईआईटी) द्वारा आयोजित ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट (गेट) पास कर लिया है। राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय में उसे आगे दाखिला भी मिल गया था, लेकिन अब वह रद किया जा रहा है। विश्वविद्यालय प्रशासन अगले साल बैकपेपर देने की बात कह रहा है। इनवर्टिस यूनिवर्सिटी के छात्र सुशोभित गोयल का कहना है कि वह तो इस समय दिल्ली में जॉब कर रहे हैं, लेकिन बीटेक में बैक पेपर क्लीयर न होने के कारण उन्हें न तो मार्कशीट मिल रही न ही डिग्री। अब कंपनी हमें निकालने की चेतावनी दे रही है। मेरठ इंस्टीट्यूट ऑफ टेकभनोलॉजी से आए अक्षय मिश्रा, गौरव भट्ट, आलोक, मनोज तिवारी, पुनीत और जयकरण का बीटेक के कुल 47 पेपरों में से एक-दो में बैक है। बीटेक अंतिम वर्ष में कैम्पस सेलेक्शन से वह नौकरी भी पा गए हैं, लेकिन बैक होने के कारण उनकी मार्कशीट व डिग्री नहीं दी जा रही। इन सभी ने कहा कि विवि प्रशासन मर्सी पेपर करवाए, जिसमें चतुर्थ वर्ष पास कर चुके ऐसे स्टूडेण्ट जिनके एक या दो पेपर में बैक है, उन्हें शामिल किया जाए।
प्रदर्शन में एसएफआई कार्यकर्ता भी पहुंच गए और छात्रों की मांग को जायज ठहराते हुए उन्हें एक और मौका देने की बात कही। वहीं, छात्रों के भारी विरोध को देखते हुए विवि प्रशासन के अधिकारी हरकत में आए और उन्हें बातचीत के लिए बुलाया। जीबीटीयू के प्रति कुलपति प्रो. दिवाकर सिंह यादव ने छात्रों की पूरी बात सुनी और एक हफ्ते का समय मांगा। छात्रों का कहना है कि अगर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह सोमवार को फिर प्रदर्शन करेंगे।
कोट्स:
करीब दो महीने पहले बैक पेपर परीक्षा हुई थी। संभवत: उसमें भी बड़ी संख्या में यही छात्र फेल हुए। नियमानुसार अब इन्हें विशेष बैक पेपर परीक्षा का लाभ दिया जा सकता है या नहीं इस पर विचार किया जाएगा। हमने स्टूडेण्ट से रविवार तक का समय मांगा है। इसके बाद उन्हें अंतिम फैसला बता दिया जाएगा। जो भी नियमों के दायरे में होगा उसका लाभ छात्रों को जरूर दिया जाएगा।
प्रो. दिवाकर सिंह यादव, प्रतिकुलपति जीबीटीयू
बैक पेपर कॉपियों की दोबारा जांच की मांग
जीबीटीयू में प्रदेश भर के इंजीनियरिंग कॉलेजों से आए छात्रों का कहना था कि बैक पेपर की कॉपियों की दोबारा जांच करवाई जाए। बैक पेपर की कॉपियां चेक नहीं होतीं। यही वजह है कि बार-बार बैक पेपर देने पर भी एक जैसे नंबर ही मिलते हैं। छात्रों का यह भी कहना था स्क्रूटनी के रिजल्ट में भी पूरी जानकारी नहीं रहती।
माइग्रेशन व डिग्री को भी भटक रहे छात्र, छूट रही नौकरी
जीबीटीयू में हंगामे के बीच तमाम छात्र ऐसे भी थे जिन्हें बीते कई दिनों से माइग्रेशन सार्टिफिकेट या डिग्री के लिए विवि प्रशासन दौड़ा रहा है। एबीएस इंजीनियरिंग कॉलेज गाजियाबाद के छात्र महेन्द्र सिंह ने बताया कि वह ग्रेजुएट एप्टीट्यूड टेस्ट पास कर चुके हैं और ओमेक्स लिमिटेड में काम भी कर रहे हैं, लेकिन उन्हें कई दिनों से माइग्रेशन सार्टिफिकेट के लिए दौड़ाया जा रहा है। बार-बार अच्छा खासा किराया खर्च कर वह यहां आते हैं और दो दिन बाद आने को कहकर वापस भेज दिया जाता है। अब तो कंपनी भी हटाने की धमकी दे रही है। इस तरह कई अन्य छात्र भी थे, जिन्हें माइग्रेशन व डिग्री के लिए दौड़ाया जा रहा था। वह भी प्रदर्शन में शामिल हुए ।
कर्मचारी भी कर रहे आंदोलन
जीबीटीयू प्रशासन के सामने इस समय दोहरी समस्या है। सोमवार को छात्रों ने परिसर को घेर रखा था और अंदर कर्मचारी हड़ताल कर रहे थे। कर्मचारियों का कहना था कि उन्हें जल्द नियमित किया जाए। इन कर्मचारियों ने दो-तीन दिनों से दोबारा अपना आंदोलन शुरू किया है। फिलहाल कुलपति डॉ. आरके खांडल इस समय राजधानी में नहीं हैं। ऐसे में इन समस्याओं का समाधान अभी एक-दो दिन नहीं हो सकता।
Academic Calendar (Odd Semesters) for Session 2013 – 14 [August – December 2013]
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Note: | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
* | First and Third Saturdays will be working days. |
Hello friends
MTU 3rd year 6th sem result will be declare soon, most probably on Monday 22nd july......
Admin
आप MTU पीड़ित है
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छात्र पहले साल में भी बदल सकते हैं ब्रांच:- उत्तर प्रदेश राज्य प्रवेश परीक्षा (एसईई) की काउंसलिंग में शामिल हो चुके छात्र मनपसंद ब्रांच न मिलने के बाद उसे बदल भी सकते हैं। खास बात यह है कि छात्र को जिस कैटेगरी के तहत सीट अलॉट होगी, उसी कैटेगरी में ब्रांच ट्रांसफर की जा सकेगी। 23 जुलाई को च्वाइस लॉकिंग के नतीजे जारी होने के बाद छात्र इस नियम का इस्तेमाल कर सकते हैं। महामाया टेक्निकल यूनिवर्सिटी (एमटीयू) के ऑर्डिनेंस के बिंदु 8.1.1.(1) के तहत यह नियम लागू होगा। प्रक्रिया पूरी तरह कॉलेज स्तर पर होगी। सिर्फ और सिर्फ सीटें खाली रहने की स्थिति में ही मेरिट के आधार पर ब्रांच ट्रांसफर की जा सकती है। इसमें ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) का नियम भी लागू रहेगा। ट्रांसफर के लिए संबंधित ब्रांच में सीटें खाली होनी चाहिए। किसी एक ब्रांच के लिए कुल इनटेक के अधिकतम 25 फीसदी छात्रों को ही ट्रांसफर किया जा सकता है। छोड़ी गई स्ट्रीम में सीटों की संख्या कुल इनटेक के 75 फीसदी से कम नहीं होनी चाहिए। साथ ही जिस ब्रांच में ट्रांसफर किया जा रहा है उसमें छात्रों की संख्या कुल इनटेक से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। ऐसे मदद करेगा नियम छात्र को किसी अच्छे कॉलेज में मनपसंद ब्रांच नहीं मिल रही है तो जल्दबाजी न करें। दाखिला ले लें। दाखिले की अंतिम तिथि के बाद पहले ही साल के एनरोलमेंट से पहले ब्रांच ट्रांसफर हो सकती है। यदि मौका न मिले तो छात्र दूसरे साल में भी इस नियम का लाभ उठा सकते हैं। ऐसे में छात्र के पास मनपसंद ब्रांच लेने के दो मौके होंगे। शिफ्ट में नहीं होगा बदलाव एमटीयू के कई कॉलेजों में इंजीनियरिंग की सेकंड शिफ्ट भी संचालित हैं। एमटीयू के ऑर्डिनेंस बिंदु 8.1.1.(2) के मुताबिक मॉर्निंग शिफ्ट से ईवनिंग (सेकंड) शिफ्ट और ईवनिंग से मॉर्निंग शिफ्ट में किसी छात्र का ट्रांसफर नहीं हो सकेगा। छात्र को अपनी ही शिफ्ट में पढ़ाई करनी होगी।
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